About Me

My photo
Dombivli, Maharashtra, India
I am a funloving person who loves to be with smiling faces around.....I like simple and straight-forward people around me. I love adventure sports and have a keen interest in Performing arts especially folk dance. I am working with the IT INDUSTRY in the city full of life,MUMBAI..(Proud to be a Mumbaikar). Music is my passion and writing poems is my hobby. I am a happy with life and with what God has blessed me with. I believe in one thing "Life is precious"...bad times will come to test you and double your happiness so accept them with a good spirit....in short "Live life lively...Live life King size"

Thursday, November 4, 2010

आई फिर दिवाली है...!!!!

हर ओर छाई खुशहाली है...
आई फिर दिवाली है....

जगमगा रहा है रौशनी से सारा आसमा 
खुशियों का जैसे चल पड़ा नया कारवा 
हर उदासी के अँधेरे को दूर करती 
आई एक मुस्कान निराली है...
हर ओर छाई खुशहाली है...
आई फिर दिवाली है....

रंगों से है सारे द्वार सजे 
दिप मालाए हर आँगन में जलाई है...
बिछड़ो को दूर दूर से साथ ये ले आई है 
तुम भी भर देना खुशियों से गर कोई 
दामन दिखता तुमको खाली है...
हर ओर छाई खुशहाली है...
आई फिर दिवाली है....

Wednesday, September 8, 2010

कभी सताते कभी मनाते ऐसे मेरे पापा थे.....!!!!








नन्ही शरारतो को हसकर जो सह जाते थे 
  कभी सताते कभी मनाते ऐसे मेरे पापा थे..


माँ कहती है जब छोटी थी मै तब गोद मै लेने से भी डरते थे 
बेटिया बोझ होती होंगी औरो के लिए पर वो तो मुझ पर नाज़ करते थे 
मायूस होकर कभी रुकी जिंदगी तो बुलंद हौसला जो हर पल करवाते थे 
कभी सताते कभी मनाते ऐसे मेरे पापा थे...

बड़ी हुए मै जैसे जैसे हर पल वो मेरे साथ थे..
समझाते थे गलती पर हर कभी न उठाते हाथ थे..
माँ ने जब जब डांटा फटकारा तो छुपा लिया कहकर मेरा बेटा सबसे प्यारा है..
दुनिया मै शायद ही कोई और रिश्ता इससे न्यारा है...
हर जंग को हंसकर लड़ना जो सिखलाते थे
कभी सताते कभी मनाते ऐसे मेरे पापा थे...

वक्त गुजरता चला जा रहा था उम्मीदों की ख्वाहिश में 
जिंदगी बीत रही थी नए रिश्तो की आजमाइश में 
तभी एक तूफ़ान आया और तिनका तिनका बिखर  गया...
तपती जिंदगी में मानो कोयला हिरा बनकर निखर गया...
जिन्होंने ऊँगली थामी थी उनको मैंने हाथो में थमा था..
बड़ी हो गयी थी में ये कड़वा सच समझकर पी डाला था 
आँखें जब भी भर आती तो शो मस्ट गो ऑन वोह कह जाते थे 
कभी सताते कभी मनाते ऐसे मेरे पापा थे...


Tuesday, August 24, 2010

Dont know why but i trust u a lot ....

Dont know why but i trust u a lot ....
may be you are a just some dream in my thought
Then i think may be it might be not
For being yours with myself i have fought
Its hard to explain with you what i have got..
Dont know why but i trust u a lot 

When the first time u talked 
In my heart the way u walked
Peeping in the first time you knocked
I went insane my thoughts just blocked..
Never mentioned this may be i forgot
Dont know why but i trust you a lot


To open up to someone is a difficult task
but for u it was like whenever you ask
For you its my true face without a mask
You the the morning glory in which i want to bask
Its hard to explain but without you i am the untied end of the knot
Dont know why but i trust you a lot


Life is strange it keeps on taking turns
Througout the life  its just good will that we earn
It takes time to heal once you get a burn
To avoid your thoughts is something im trying to learn
But its not that easy neither it can be sought

Dont know why but i trust you a lot


Thursday, August 12, 2010

Click a smile...

I am happy coz have it all why would i bother some one has a rise or fall...
I am happy coz daily i eat tasty food thats why i feel everything around is good
I am happy as i have a nice branded shirt why would i bother if someone is blended in dirt
You will be happy till the time life is good happiness can be seen
I know my friends the grass on the other side is always green..


Some is unhappy coz they cant even two times of food
Lost are their lives children dont know what is child hood
Eager faces but not always frown waiting for the mighty hapiness crown
Dont just live for yourself there are many who need your help...
Its just a request help some one and double the happiness at its best... 
.

Sunday, July 11, 2010

ज़िन्दगी लहर थी आप साहिल हुए ...

ज़िन्दगी लहर थी आप साहिल हुए
न जाने कैसे हम आपके प्यार के काबिल हुए
ना भूलेंगे कभी उस हसीं पल को
जब आप हमारी छोटी सी दुनिया में चुपके से शामिल हुए...

Tuesday, July 6, 2010

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ ........???.

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ .........???

या अग्ल्यावेगळ्या नात्याला मी कोणती व्याख्या ठेऊ

मैत्री,प्रेम की जिवलगा याला कोणते नाव देऊ ..

ना अपेक्षेंचा बाज़ार ना नात्यांच्या व्यहवार

आम्हा सर्वांच्या मनचा हा निराळच सौंसार .

कधी अद्खाद्लो तर या निरपेक्ष प्रेमाची सावली सोबत घेऊ ....

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ .........

त्यातली माऊ मी आपल्यातच रामनारी ...

कधी रडत रडत खुदकन हसणारी ..

आयुष्य खडतर असला जरी ..हसत हसत सोबत ही वाट पुढे नेऊ...

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ .........

त्यातली पिल्लू एकदम जगावेगळी..

मैत्री हिच्या जगण्याचा सग्यत मोठा आधार

बाबांच्या पुढ्यात उभी राहते अगदी निराधार ..

स्वतःचीच आस्था स्वतःचास विश्वास ..

ज्यांच्या आयुष्यात जाते करते त्यांचा जीवन ख़ास ..

मानत फ़क्त एकाच निष्ठा ...जिव्लागांचा आयुष्य आनंदी कसा ठेवू ...

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ .........

आणि आता आम्च्यामधे अडकलेला तो ...

नात्याना पहिला मान देतो ...

मनातले सारे स्वतच जपतो ..

दडपण घेउनिया पण नेहमी हस्तो ..

तसा सग्ल्यान्मधे नेहमीच असतो ...

टेंशन मधे येतो जेव्हा विचार करतो मी या सग्ल्याना खुश कसा ठेवू ..

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ .........

अपूर्ण कविता .. माझ्या काढून पूर्ण करते ...

नाज़ुक अशी ही आमची चिऊ ...इतकी बडबड करते ..

प्रत्येक शब्दावर्ती गाना एक म्हणते ...

चटकन रस्ते , तशीच चटकन हसते ...

क्षणभराचा राग तिचा .. क्षणातच विसरते ...

दुष्ट ह्या जगापासून , नाज़ुक ह्या बाहुलिला कशी जपून ठेवू ..

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ .............

एक मित्र असा, सग्ल्यांना शांत दिसतो ..

शांत मनात त्याच्या मित्रां चास विचार असतो ..

मित्रांच्या त्या इच्छा तो मनातच ठेवतो ..

सहजच कधी एक दिवस टी इच्छा तो पूर्ण करतो ..

ह्या मित्राच्या निखळ मैत्रीला कशी मी ज़पून ठेवू ...

या आगळ्या वेगळ्या नात्याला मी काय नाव देऊ .........

पाच बोटे वेगळी वेगळी ... जुळली एका हातात ..

पाच अशे स्तम्भ आम्ही .. जुळलो एका नात्यात ...!!!!!